सूचना का अधिकार

भारत सरकार ने किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के कार्यकरण में पारदर्शिता और जबावदेही के कार्यकरण में पारदर्शिता और जबावदेही को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक प्राधिकरणों के नियंत्रण के अंतर्गत सूचना तक पहुंच पाने हेतु सूचना के अधिकार (आर टी आई) की व्यावहारिक व्य‍वस्था को उल्लिखित करने के लिए "सूचना का अधिकार अधिनियम 2005" अधिनियम बनाया है।

सूचना का अधिकार क्या है?

सूचना के अधिकार में ऐसी सूचना तक पहुंच पाने का प्रावधान है जो किसी सार्वजनिक प्राधिकरण ने धारित की है अथवा नियंत्रण में है। इसमें कार्य की जांच दस्तावेजों/अभिलेखों दस्तावेजों, अभिलेखों के टिप्पणि‍यों उद्धरणों या प्रमाणित प्रतियों और सामग्री के प्रमाणित नमूनों और ऐसी सूचना पाना, जो इलैक्ट्रॉनिक रूप में भी भण्डारित है, को प्राप्‍त करने का अधिकार शामिल है।

आरटीआई आवेदन rtionline.gov.in पर ऑनलाइन किया जा सकता है।

सूचना हेतु कौन पूछ सकता है?

कोई भी नागरिक निर्धारित शुल्कों सहित लिखित रूप में आवेदन करके या अंग्रेजी हिंदी क्षेत्र की राजभाषा में इलैक्ट्रॉनिक जरियों के माध्यम से जिसमें आवेदन किया जा रहा है, सूचना हेतु अनुरोध कर सकता है।

सूचना कौन प्रदान करेगा?

प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण विभिन्न स्तरों पर एक केन्द्रीय सहायक जन सूचना अधिकारी (सी ए पी आई ओ) पदनामित करेगा जो जनता से सूचना हेतु अनुरोध प्राप्तर करेगा। सभी प्रशासनिक इकाइयों/कार्यालय में केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी जनता को आवश्यक सूचना प्रदान करने की व्यवस्था करेगा। सूचना हेतु आवेदन पत्र/अनुरोध को 30 दिनों की अवधि के भीतर सूचना प्रदान करके अथवा अनुरोध को रद्द करते हुए निपटान किया जाना चाहिए।

सूचना के प्रकटन से छूट (सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(ञ))

इस धारा में उल्लेख है कि इस अधिनियम में निहित कोई बात के होते हुए भी किसी नागरिक को ऐसी सूचना देने में कोई बाधा नहीं होगी जिसका व्यक्तिगत सूचना से संबंध हो, जिसके प्रकटन का किसी सार्वजनिक क्रियाकलाप या हित से कोई नाता ना हो या जिससे व्यक्ति विशेष की निजता का अनाधिकृत रूप से हस्तक्षेप होता हो, जब तक केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी या राज्य जन सूचना अधिकारी या अपीलीय प्राधिकारी जैसी भी स्थिति हो संतुष्ट नहीं हो जाता है कि बड़े जनहित में ऐसी सूचना का प्रकटन न्‍यायोचित है परन्तु यह तब जबकि सूचना को संसद या किसी राज्य विधान सभा को नकारा ना जा सकता होए तो किसी व्‍यक्ति को भी नहीं नकारा जाएगा।

अत: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण प्रकटन मानदण्ड उल्लेख करते हैं:

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(ञ) के अनुसार और जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक डेटा (निवासी का व्यक्तिीगत डेटा) की गोपनीय प्रकृति को ध्यान में रखते हुए केवल निवासी जिससे डेटा संबंधित है सूचना मांग सकता है। कोई अन्य आवेदक यह सूचना नहीं मांग सकता है। किसी अन्य प्रार्थी, किसी तीसरी पार्टी या किसी अन्य निवासी से संबंधित किसी व्याक्तिगत सूचना को नहीं दिया जाएगा ताकि आधार कार्यक्रम के तहत नामांकित निवासी की निजता सुरक्षित और गोपनीयता बनी रहे। आवेदक को कतिपय मामलों में पहचान की अतिरिक्त वैधता देना भी अपेक्षित हो सकता है।

निवासी का प्रक्रिया संबंधी स्तर, आधार संख्या या प्रेषण एवं सुपुर्दगी जैसे अपने नामांकनों का ब्यौरा मांगना:

निवासी ई आई डी संख्यांक भरकर यूआईडीएआई वेबसाइट (http://uidai.gov.in) से आधार जनरेशन/संख्या की स्थिति प्राप्त कर सकता है। निवासी जनसांख्यिकीय सूचना सहित ईआईडी संख्या भरकर निवासी पोर्टलuidai.gov.in) by furnishing the EID number. The resident can also access the electronic version of the Aadhaar letter i.e. E-Aadhaar from the Resident portal (uidai.gov.in ) से आधार पत्र अर्थात् ई-आधार के इलैक्ट्रॉनिक वर्शन को भी प्राप्त कर सकता है। यदि समस्त सूचना यूआईडीएआई डेटाबेस में उपलब्ध सूचना से मेल खाती है तो एक बारगी पासवर्ड (ओटीपी) निवासी के मोबाइल नम्बर या नामांकन के समय निवासी द्वारा दिए गए ई.मेल पते पर भेज दिया। किसी मामले में निवासी जिसने नामांकन के समय मोबाइल नम्बर और ई-मेल पता नहीं दिया है या उसने मोबाइल नम्बर बदल दिया है तो सत्यापन के पश्चात् एक बार पासवर्ड (ओटीपी) पाने के लिए निवासी का नाम ईआईडी और पिन कोड सहित मोबाइल नम्बर देना अपेक्षित होगा। ओटीपी को ई-आधार डाउनलोड करना अपेक्षित होता है। निवासी संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों या संपर्क केन्द्रों द्वारा प्रक्रियानुसार विधिवत् सत्यापन के पश्चात् यूआईडीएआई के क्षेत्रीय कार्यालयों और संपर्क केन्द्रों के जरिए ई-आधार भी प्राप्त कर सकता है। (

सूचना का अधिकार आवेदन शुल्क

'वेतन एवं लेखा अधिकारी, यूआईडीएआई को देय नकद/मांग ड्राफ्ट/आईपीओ के जरिए अधिनियम के अन्तर्गत आरटीआई आवेदन शुल्क'